चलिये हम आपको ले चलते है, चित्रमय भारत यात्रा पर.और हाँ आप भी इसमे भाग ले सकते है,भारत सम्बंधित चित्र भेजकर. तो देर किस बात की है, हो जाइये शुरु आप भी.और देखिये ये साइट रोज़ाना
यह है अक्षरधाम मन्दिर का एक चित्र। यह मन्दिर वास्तुकला का एक अदभुत नमूना है। यह स्वामी नारायण सम्प्रदाय के अनुयायियों द्वारा बनाया गया है। ज्यादा जानकारी के लिये यहाँ देखिये।
मन्दिर के अन्य चित्रों को देखने के लिये यहाँ क्लिक करिये।
जितेंद्र ने इतने प्यार से नयौता दिया तो मना कैसे करता ?
प्रस्तुत हैं दो तस्वीरें इस भारत यात्रा से. दोनो तस्वीरें पंडित बिरजु महाराज के कत्थक नृत्य समारोह में खींची. ६८ वर्षीय गुरु जी जब नाचते हैं तब उनके शरीर में जवानी की लचक आ जाती है. लखनऊ के कालका बिंदादीन घराने के गुरु जी को २८ वर्ष की आयु में ही भारतीय संगीत नाटक अकेडमी का पुरस्कार मिला था. दोनो तस्वीरें मुझे कम्पोज़िशन की दृष्टि से अच्छी लगीं.
मसूरी की यादों हम अपने कैमरे को समेट कर, निकल पड़े वापस अपने शहर की ओर. लेकिन कभी कभी मेरे दिल मे ख्याल आता है, ऊपर जैसे चित्र जैसा अगर कोई, घर पहाड़ों के बीच हो तो कैसा हो?
बहाई सम्प्रदाय का प्रार्थना स्थल, लोटस टैम्पल आधुनिक युग की वास्तुकला का एक बेजोड़ नमूना है. यदि आप दिल्ली जा रहे है तो इसे देखना मत भूलियेगा. इन्द्र भाई की देखादेखी, मैने भी वास्तुशिल्प का नमूना पेश किया है. अभी मंसूरी की यात्रा बाकी है, उसके फोटोग्राफ्स अगली पोस्ट मे अपलोड करूंगा.
हमारे निवेदन के फलस्वरूप, इन्द्र भाई ने कुछ तस्वीरे अपलोड की है, इनका भारत यात्रा के सफर मे हार्दिक स्वागत है. आप भी हमारे हमसफर, इन्द्र भाई की तस्वीरों पर कमेन्ट करके उनका स्वागत कीजिये
माल रोड के समानान्तर एक और रोड है जिसको कैमल बैक रोड कहते है, यह रोड कुलड़ी बाजार से शुरु होकर, लाइब्रेरी तक जाती है, अक्सर सुनसान रहती है हनीमून पर आने वालों के लिये एकाकी की सबसे अच्छी जगह होती है. इसके अलावा टहलने के लिये सबसे उत्तम जगह, कुल छह किलोमीटर का फासला है, वादी मे दृश्य देखते हुए, रास्ता कब कट जाता है, पता ही नही चलता.आप भी मजा लीजिये.
दूसरों द्वारा फैलाई गन्दगी पर हम नाक मुँह सिकोड़ते है, लेकिन क्या हम लोग गन्दगी नही फैलाते? मसूरी पर टूरिस्ट द्वारा फैलाई गयी गन्दगी देखिये. क्या हम सब इन सबके जिम्मेदार नही है? विदेशों मे जाकर तो हम लोग कोई भी कूड़ा करकट, कूड़ेदान के बिना नही फेंकते, लेकिन वापस अपने देश मे? गलती कंही ना कंही हमारे अन्दर ही है.जब तक हम नही सुधरेंगे, ये समस्या बनी रहेगी, भले ही हम लाख प्रशासन को गालियाँ देते रहे
मसूरी मे मेरी रिहाइश होटल पदमिनी निवास मे थी, ये होटल लाइब्रेरी के पास, माल रोड पर ही है. यह एक हैरीटज बिल्डिंग है. कमरे शाही शानौशौकत दर्शाते है, खाना बहुत लज़ीज है और सबसे बड़ी बात, होटल मे रहकर आपको लगता है कि आप किसी महल मे शाही मेहमान हो. देखिये कुछ तस्वीरे, पदमिनी निवास की
मेरा कमराः मैने शाही सुइट लिया था
यहाँ के खाने मे आपको घर जैसा स्वाद मिलेगा
ज्यादा जानकारी के लिये पदमिनी निवास की वैब साइट पर जायें
शाम का धुंधलका छाने लगा था, दूर कंही देहरादून शहर की बत्तिया टिमटिमाती दिखायी दे रही थी. किसी भी कैमरे से देहरादून साफ नही दिखायी देता, मैने कई बार कोशिश की, कृपया फोटो को जूम करके देखें.तब शायद आपको दून वैली कुछ साफ दिखायी दे.एक और कोशिश करते है
चित्रः होटल के लान से दून वैली का नजारा
और हाँ मै होटल पदमिनी निवास मे रूका था, जो मसूरी को सबसे पुरानी इमारतों मे से एक है और आजकल एक हैरिटेज होटल है.
देहरादून से मसूरी के लिये निकलते ही बादल और बरसात के हमारे साथ हो लिये, पहाड़ों पर साथी था घना कोहरा, हर मोड़ पर कोहरा बढता ही जा रहा था, लेकिन मसूरी का पहला नजारा देखते ही सारी शिकायते दूर हो गयी.
अब जैसी ही हमने मसूरी मे प्रवेश किया, मौसम साफ होता गया, माल रोड पर होटलों ने पार्किग अपने होटलों की छत पर बना रखी है. चित्रः माल रोड, मसूरी
साथियों आपके प्यार और स्नेह का बहुत बहुत धन्यवाद, अभी भारत यात्रा का सफर शुरु हुआ है, आप भी इसमे सहयोग कर सकते है, यदि आपके पास भारत से सम्बंधित कुछ अच्छे चित्र हो,जिन्हे आप हमारे साथ शेयर करना चाहते है तो आपका स्वागत है. आप हमे चित्र भेजिये, साथ मे उसका कैप्शन भी. आपका चित्र आपके नाम और कैप्शन के साथ छापा जायेगा, ये हमारा वादा है.
आज का चित्रः हरिद्वार ऋषिकेश रोड के, कितना सुन्दर नजारा है, लेकिन पुल की रेलिंग को देखिये, क्या ऐसा होता है रखरखाव?
पहाड़ों के मौसम का भी पता नही चलता, अभी तक साफ दिख रहा था और अब देखो कैसा हो गया है..... लेकिन घबराइये नही ये तो हसीनाओं के गुस्से जैसा है, थोड़ी देर मे उतर जायेगा.
फन वैली एक खूबसूरत सा वाटर पार्क है, जो हरिद्वार देहरादून रोड पर स्थित है. अभी तक तो साफ सुधरा ही है. आस पास के दृश्य भी काफी लुभावने है.
स्थानः हरिद्वार देहरादून रोड
जैसे जैसे देहरादून की तरफ बढते है मौसम और सुहावना होता जा रहा है, दूर ऋषिकेश की पहाड़ियाँ हमारा स्वागत करती दिखती है, हमारा अगला पड़ाव है फन वैली, इस बारे ज्यादा जानकारी अगले फोटो मे है.
Wednesday, August 03, 2005
ऋषिकेश रोड पर चलते हुए, पहाड़ों को देखकर लगता है, जैसे वे बाँहे फैलाये आपको अपनी तरफ बुला रहे है स्थानः ऋषिकेश रोड, हरिद्वार
स्थान: हर की पौड़ी, हरिद्वार हरिद्वार जाना हो और हरि की पौड़ी जाना ना हो, ऐसा कैसे हो सकता है. लेकिन सबसे ज्यादा विहंगम दृश्य शाम की आरती का होता है, दुर्भाग्य से इस बार वो नही देख सका.
यात्रा शुरु करने से पहले पहले हम जा पहुँच भोले बाबा के दर्शन करने......हरिद्वार मे हर की पौड़ी के पास विराजमान है, साक्षात भोले बाबा हमने पूछा पैर मे दिक्कत है यात्रा कैसे करूंगा...........भोले बाबा छूटते ही बोले...निसंकोच जाओ, सब ठीक होगा...............मै हूँ ना
तो फिर हम निकल पड़े आगे की यात्रा पर................
तो जनाब आगाज़ करते है एक खूबसूरत फूल से....ये फूल कोई विलक्षण फूल नही है लेकिन मुझे अच्छा लगा, तो मैने कैमरे मे कैद कर लिया... फोटो मोडः माइक्रो कैमराः आपको पता ही है NIKON COOLPIX 4200